आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, बच्चों के पास अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ समय बिताने का अवसर कम ही मिल पाता है। लेकिन, यह एक बहुत बड़ी भूल है। दादा-दादी और नाना-नानी का प्यार और अनुभव बच्चों के विकास के लिए अनमोल होता है। उनके साथ समय बिताने से बच्चों को न केवल प्यार और स्नेह मिलता है, बल्कि वे जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक भी सीखते हैं।
दादा-दादी और नाना-नानी के पास ज्ञान और अनुभवों का खजाना होता है। उन्होंने जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखे होते हैं और उनके पास कहने के लिए अनगिनत कहानियां होती हैं। ये कहानियां बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ती हैं, उन्हें अपने परिवार के इतिहास और परंपराओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। इन कहानियों में जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों और सीखों का समावेश होता है, जो बच्चों के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दादा-दादी और नाना-नानी का प्यार बिना किसी शर्त का होता है। वे अपने पोते-पोतियों और नाती-नातनियों को बहुत प्यार करते हैं और उन्हें लाड़-प्यार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनका यह unconditional प्यार बच्चों के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। बच्चों को यह महसूस होता है कि कोई है जो उन्हें बिना किसी अपेक्षा के प्यार करता है।
दादा-दादी और नाना-नानी अक्सर बच्चों के साथ पारंपरिक खेल खेलते हैं, उन्हें पुरानी कविताएं और लोरी सुनाते हैं। ये गतिविधियां बच्चों को अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़ने में मदद करती हैं। वे सीखते हैं कि उनके पूर्वजों का जीवन कैसा था और वे किन मूल्यों को मानते थे।
आजकल के बच्चों का स्क्रीन टाइम बहुत अधिक होता है। वे अपना ज्यादातर समय मोबाइल फोन, टैबलेट या टेलीविजन के सामने बिताते हैं। दादा-दादी और नाना-नानी के साथ समय बिताने से उन्हें स्क्रीन से दूर रहने और वास्तविक दुनिया से जुड़ने का अवसर मिलता है। वे प्रकृति के बारे में सीखते हैं, बागवानी करते हैं या सिर्फ बैठकर बातें करते हैं।
दादा-दादी और नाना-नानी धैर्य और सहनशीलता के प्रतीक होते हैं। वे बच्चों की शरारतों को प्यार से सहते हैं और उन्हें गलतियां करने पर डांटने के बजाय प्यार से समझाते हैं। उनका यह शांत स्वभाव बच्चों को भी शांत और धैर्यवान बनने में मदद करता है।
कई शोधों से यह पता चला है कि जो बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी के साथ नियमित रूप से समय बिताते हैं, वे भावनात्मक रूप से अधिक स्थिर और सामाजिक रूप से अधिक कुशल होते हैं। उनमें दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा का भाव अधिक होता है।
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से अपने दादा-दादी या नाना-नानी से मिलने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि वे एक ही शहर में नहीं रहते हैं, तो वीडियो कॉल या अन्य माध्यमों से उन्हें आपस में जुड़े रहने में मदद करें। बच्चों के लिए दादा-दादी और नाना-नानी का साथ एक अनमोल उपहार है, जिसे उन्हें वंचित नहीं करना चाहिए।
अंततः, दादा-दादी और नाना-नानी का प्यार और मार्गदर्शन बच्चों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके साथ बिताया गया समय बच्चों को न केवल खुशी देता है, बल्कि उन्हें एक मजबूत नींव भी प्रदान करता है जिस पर वे अपना भविष्य बना सकते हैं।