रिश्‍तेदारों के आगे रोबेट न बनाये बच्‍चों को

भारतीय संस्कृति में रिश्तेदारों का बहुत महत्व है। परिवार के सदस्य अक्सर एक-दूसरे के घर आते-जाते रहते हैं और बच्चों को भी इन मुलाकातों में शामिल होना पड़ता है। हालांकि, कई बार माता-पिता अपने बच्चों को रिश्तेदारों के सामने एक ‘रोबोट’ की तरह पेश करने की कोशिश करते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे हर सवाल का तुरंत और सही जवाब दें, हर बात पर बड़ों का सम्मान करें और हमेशा अच्छी तरह से व्यवहार करें। इस प्रयास में, वे बच्चों की सहजता और मासूमियत को कहीं खो देते हैं।

बच्चों को रिश्तेदारों का सम्मान करना सिखाना निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है। उन्हें यह जानना चाहिए कि बड़ों के साथ कैसे बात करनी चाहिए और उनके प्रति आदर का भाव कैसे व्यक्त करना चाहिए। लेकिन, इस सिखाने की प्रक्रिया में बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालना या उन्हें किसी पूर्वनिर्धारित ढांचे में बांधना सही नहीं है।

कई बार माता-पिता अपने बच्चों को रिश्तेदारों के सामने गाना गाने, कविता सुनाने या कोई विशेष प्रतिभा दिखाने के लिए मजबूर करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वे रिश्तेदारों को प्रभावित कर सकें और अपने बच्चों की तारीफें सुन सकें। लेकिन, वे यह नहीं समझते कि इस दबाव के कारण बच्चे असहज और शर्मिंदा महसूस कर सकते हैं। उन्हें ऐसा लग सकता है कि उन्हें सिर्फ इसलिए महत्व दिया जा रहा है क्योंकि वे कुछ खास चीजें कर सकते हैं।

बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यदि वे किसी रिश्तेदार से मिलकर खुश नहीं हैं या उनसे बात करने में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए। माता-पिता को उनकी भावनाओं को समझना चाहिए और उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए कि उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाता है।

रिश्तेदारों के साथ बातचीत बच्चों के सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। यह उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों से मिलने और उनसे बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन, यह बातचीत स्वाभाविक और सहज होनी चाहिए। बच्चों को अपनी गति से और अपनी रुचि के अनुसार बातचीत करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

माता-पिता को यह याद रखना चाहिए कि बच्चे मशीन नहीं होते हैं जिन्हें किसी भी समय किसी भी तरह से प्रोग्राम किया जा सके। वे संवेदनशील इंसान होते हैं जिनकी अपनी भावनाएं, इच्छाएं और सीमाएं होती हैं। उन्हें प्यार, धैर्य और समझ की आवश्यकता होती है।

बच्चों को रिश्तेदारों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने में मदद करने के लिए, माता-पिता को खुद भी सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए। उन्हें रिश्तेदारों के साथ सम्मानजनक और प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चे उनसे सीख सकें। उन्हें बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि वे रिश्तेदारों के साथ अपनी राय और विचारों को शालीनता से कैसे व्यक्त कर सकते हैं।

अंततः, माता-पिता का लक्ष्य अपने बच्चों को एक आत्मविश्वासी, खुशहाल और सामाजिक रूप से सक्षम व्यक्ति बनाना होना चाहिए, न कि एक ऐसा रोबोट जो सिर्फ दूसरों को प्रभावित करने के लिएprogrammed हो। बच्चों को अपनी स्वाभाविक गति से विकसित होने दें और उन्हें रिश्तों की गर्माहट महसूस करने दें।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *