आजकल बच्चों की खानपान की आदतें काफी बदल गई हैं। वे जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और पश्चिमी खानपान की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, उनमें मोटापा, मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। अपने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए, माता-पिता को उनके खाने-पीने में पारंपरिक चीजों को शामिल करना बहुत जरूरी है।
हमारी पारंपरिक खानपान की आदतें सदियों के अनुभव और ज्ञान पर आधारित हैं। इनमें स्थानीय रूप से उपलब्ध ताजे और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह हमारे शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है।
पारंपरिक भोजन में अनाज, दालें, सब्जियां, फल, डेयरी उत्पाद और मसाले सही अनुपात में शामिल होते हैं। ये खाद्य पदार्थ फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
बच्चों को बचपन से ही पारंपरिक भोजन का स्वाद विकसित करना चाहिए। माता-पिता उन्हें घर पर बने पारंपरिक व्यंजन खिला सकते हैं और उन्हें इन व्यंजनों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बता सकते हैं। उन्हें यह भी समझाना चाहिए कि कैसे हमारे पारंपरिक खाद्य पदार्थ स्थानीय रूप से उगाए जाते हैं और इनका पर्यावरण पर कम नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बच्चों को पारंपरिक भोजन बनाने की प्रक्रिया में शामिल करना भी एक अच्छा विचार है। जब वे अपनी आंखों के सामने भोजन बनते हुए देखते हैं और उसमें मदद करते हैं, तो वे उस भोजन के प्रति अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं और उसे खाने में अधिक रुचि दिखाते हैं।
माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चों के आहार में मौसमी फल और सब्जियां जरूर शामिल हों। पारंपरिक रूप से, हम मौसम के अनुसार उपलब्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे, जो हमारे शरीर को उस मौसम की जरूरतों के अनुसार पोषण प्रदान करते थे।
जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड में अक्सर उच्च मात्रा में चीनी, नमक और अस्वास्थ्यकर वसा होती है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। माता-पिता को इन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और अपने बच्चों को इनके दुष्प्रभावों के बारे में बताना चाहिए।
पारंपरिक पेय पदार्थ, जैसे कि लस्सी, छाछ, शरबत और हर्बल चाय, भी बच्चों के लिए स्वस्थ विकल्प हैं। ये पेय पदार्थ न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि ये हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखने और पाचन को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं।
यह सच है कि आजकल बच्चों को पारंपरिक भोजन के बजाय पिज्जा, बर्गर और नूडल्स जैसे पश्चिमी व्यंजन अधिक पसंद आते हैं। लेकिन, माता-पिता को धैर्य रखना होगा और धीरे-धीरे उन्हें पारंपरिक भोजन का स्वाद विकसित करने में मदद करनी होगी। वे पारंपरिक व्यंजनों को बच्चों के स्वाद के अनुसार थोड़ा बदलकर उन्हें और अधिक आकर्षक बना सकते हैं।
अंततः, अपने बच्चों के खाने-पीने में पारंपरिक चीजों को शामिल करना उनके स्वस्थ भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश है। यह न केवल उन्हें आवश्यक पोषण प्रदान करता है, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ता है।