संस्मरण: लेह की सैर
वर्ष 2024 के ग्रीष्मावकाश में परिवार के कुछ सदस्यों के साथ लद्दाख के लेह ज़िले में घूमने का अवसर मिला, तो मन उल्लास और उत्साह से भर उठा। सीधी उड़ान द्वारा हम सब लेह पहुँचे, जहाँ सेवानिवृत्त उपनिदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जम्मू—श्री सेरिंग ताशी जी ने आत्मीय स्वागत करते हुए हमें ‘खतक’ पहनाए। ये रेशमी अंगवस्त्र विशिष्ट अतिथियों को सम्मानस्वरूप पहनाए जाते हैं। उनका यह गर्मजोशी भरा अभिवादन हम सबके हृदय को छू गया। पहले से आरक्षित ‘नालंदा लद्दाख’ होटल में विश्राम के बाद लेह का सुहावना मौसम हमें बेहद भाया—जुलाई के महीने में भी वहां गर्मी का नामोनिशान नहीं था।
कुछ विश्राम के पश्चात् हमने शांति स्तूप और लेह पैलेस का भ्रमण किया, जहाँ हमने कई तस्वीरें और वीडियो लिए। अगले दिन हमने संगम प्वाइंट (सिंधु और ज़ांस्कर नदियों का संगम), मैग्नेटिक हिल, गुरुद्वारा पत्थर साहिब, स्पितुक मठ और आर्काइव्स विभाग के स्थलों का भ्रमण किया। स्थानीय बाज़ार से कुछ खरीदारी भी की। श्री ताशी जी और उनकी पत्नी के आग्रह पर हम उनके निवास स्थान गए, जहाँ उन्होंने आत्मीयता से हमारा स्वागत किया। वहां ‘गुरगुर’ (मक्खन वाली पारंपरिक लद्दाखी चाय) के साथ नाश्ता भी कराया। उनका घर विशाल और प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है, जहाँ से पर्वत और हरियाली का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।
तीसरे दिन की यात्रा ‘पैंगोंग झील’ और ‘थिक्से मठ’ के नाम रही। पैंगोंग जाने हेतु परमिट की आवश्यकता होती है, जिसे पहले से बनवाया गया था। करीब चार घंटे की पहाड़ी यात्रा के बाद झील के दर्शन हुए। वह दृश्य अत्यंत मनोहारी था—झील के बदलते रंग, आसपास के विशाल पर्वत और ठंडी हवा—सब कुछ अविस्मरणीय रहा। मैंने याक की सवारी भी की, जो एक रोमांचक अनुभव था। लौटते समय सभी थक चुके थे, इसलिए ‘हेमिस गुंपा’ जाने की योजना स्थगित करनी पड़ी। हालांकि, वापसी में हमने थिक्से मठ में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा के दर्शन किए, जिसकी अलौकिक उपस्थिति और शांति ने मन को गहराई तक छू लिया।
अगले दिन हमारी वापसी की उड़ान थी। लेह की यह यात्रा स्मृतियों में संजो लेने योग्य रही। लौटकर मैंने कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, हालांकि जिन पारिवारिक सदस्यों की गोपनीयता की भावना थी, उनकी तस्वीरें साझा नहीं कीं। भावनाओं का सम्मान आवश्यक होता है।वास्तव में लेह एक अद्वितीय पर्यटन स्थल है—जहाँ प्रकृति, संस्कृति और आत्मिक शांति तीनों का अद्भुत संगम है। जीवन में एक बार इस स्थल की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
– अलका शर्मा,
Rehari Colony,
Jammu
alkasmile2204@gmail.com